Thursday, December 16, 2010

भारत को कुछ दिया नहीं, बहुत कुछ ले गए वेन

नई दिल्‍ली. भारत और चीन ने सीमा विवाद सहित सभी मतभेदों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने की उम्‍मीद जाहिर करते हुए आज कहा कि दोनों देश एशिया में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिये आपसी सहयोग बढाएंगे। भारत यात्रा पर आए चीन के प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ और प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद दोनों देशों ने छह करारों पर हस्ताक्षर किए।
भारत और चीन के बीच हुए करारों में ड्रैगन ने अपने फायदे की बात की और जैसा पहले से ही अनुमान था, उसी के मुताबिक चीन ने भारत की कई चिंताओं को नजरअंदाज कर दिया। चीन ने कश्‍मीर के लोगों को नत्‍थी वीजा दिए जाने के मुद्दे पर भी किसी तरह का ठोस आश्‍वासन नहीं दिया, केवल इतना ही कहा, ‘हम भारत की चिंताएं समझते हैं’।
दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच हुई मुलाकात के बाद जारी संयुक्‍त बयान में 26 नंवबर 2008 को मुंबई में हुए भीषण आतंकवादी हमले का जिक्र नहीं था और न ही इन हमलों की साजिश रचने वाले आतंकियों की शरणगाह बने पाकिस्‍तान का नाम। ये करार उन मुद्दों पर फोकस हैं जिनसे चीन की अर्थव्‍यवस्‍था को फायदा पहुंचता है।नई दिल्‍ली. भारत और चीन ने सीमा विवाद सहित सभी मतभेदों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने की उम्‍मीद जाहिर करते हुए आज कहा कि दोनों देश एशिया में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिये आपसी सहयोग बढाएंगे। भारत यात्रा पर आए चीन के प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ और प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद दोनों देशों ने छह करारों पर हस्ताक्षर किए।
भारत और चीन के बीच हुए करारों में ड्रैगन ने अपने फायदे की बात की और जैसा पहले से ही अनुमान था, उसी के मुताबिक चीन ने भारत की कई चिंताओं को नजरअंदाज कर दिया। चीन ने कश्‍मीर के लोगों को नत्‍थी वीजा दिए जाने के मुद्दे पर भी किसी तरह का ठोस आश्‍वासन नहीं दिया, केवल इतना ही कहा, ‘हम भारत की चिंताएं समझते हैं’।
दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच हुई मुलाकात के बाद जारी संयुक्‍त बयान में 26 नंवबर 2008 को मुंबई में हुए भीषण आतंकवादी हमले का जिक्र नहीं था और न ही इन हमलों की साजिश रचने वाले आतंकियों की शरणगाह बने पाकिस्‍तान का नाम। ये करार उन मुद्दों पर फोकस हैं जिनसे चीन की अर्थव्‍यवस्‍था को फायदा पहुंचता है।
बयान में हालांकि दोनों देशों ने आतंकवाद का मिलकर मुकाबला करने की प्रतिबद्धता जाहिर की। इसमें आतंकवाद को हरा-भरा रखने के लिए जारी आर्थिक मदद के स्रोत को तहस-नहस करने की कोशिश भी शामिल है। हालांकि चीन ने आतंकवाद के मसले पर सीधे तौर पर पाकिस्‍तान का नाम नहीं लिया।
इस मोर्चे पर भारत की ‘नरम नीति’ सामने आने पर सरकार ने सफाई भी पेश की। विदेश सचिव निरुपमा राव ने इन समझौतों पर दस्‍तखत होने के बाद प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि भारत-चीन वार्ता के दौरान चीन ने आतंकवाद के मसले पर भारत का साथ देने की बात कर अप्रत्‍यक्ष तौर पर पाकिस्‍तान का नाम लिया है। उन्‍होंने कहा कि भारत ने आतंकवाद से जुड़ी अपनी चिंताओं से चीन को अवगत करा दिया है और दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच पाकिस्‍तान को लेकर चर्चा हुई है।
                  चीन ने संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्‍थायी सदस्‍यता के दावे का सीधे तौर पर समर्थन भी नहीं किया। लेकिन साझा बयान में इतना कहा गया है कि चीन अंतर्राष्‍ट्रीय मंच पर भारत को एक बड़े विकासशील देश के तौर पर देखना चाहता है। चीन सुरक्षा परिषद समेत संयुक्‍त राष्‍ट्र में बड़ा किरदार निभाने की भारत की इच्‍छाओं को समझता है और इसका समर्थन किया है। बैंकिग क्षेत्र में भारत और चीन के बीच दो समझौते हुए। भारतीय रिजर्व बैंक और चीन के बैंकिंग नियमन आयोग के बीच तथा भारत के एक्जिम (एक्‍सपोर्ट-इम्‍पोर्ट) बैंक और चीन के विकास बैंक के बीच करार हुए।चीन के तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र से निकलने वाली नदियों के जलप्रवाह के आंकड़ों के आदान-प्रदान के संबंध में एक करार हुआ। दोनों देशों ने पर्यावरण के अनुकूल हरित प्रौद्योगिकी के विकास में भी सहयोग करने का फैसला किया। दो अन्य करार मीडिया आदान प्रदान तथा सांस्कृतिक संपर्क से संबंधित हैं।
डॉ. सिंह ने इस मौके पर कहा कि भारत और चीन में तेजी से आर्थिक, सामाजिक बदलाव हो रहा है जिससे विकास और समृद्धि के नए अवसर पैदा हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशो के बीच बढते संपर्क का सबूत है कि पिछले पांच वर्षों के दौरान वह चीन के राष्ट्रपति हू जिनताओ और प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ से 20 बार मुलाकात कर चुके हैं।