देहरादून: उत्तराखंड भी तेल माफियाओं का गढ़ बन गया है. यहाँ भी पेट्रोल व डीज़ल में मिटटी तेल की मिलावट का धंधा जोरों पर चल रहा है. विगत लम्बे समय से यह "तेल का खेल " हरिद्वार व ऋषिकेश से संचालित हो रहा है. सत्ता में बैठी बीजेपी से जुड़े दो दिग्गज नेताओं व कुछ तेल माफियाओं के संरक्षण में चल रहे इस धंधे को रोकने का साहस फिलहाल किसी में नहीं है.क्योंकि मामला सीधे तौर पर सत्ता में बैठे लोगों से जुडा है. मिलावाट्खोरी रोकने का जिम्मा साम्हाल रहे खाद्य आपूर्ति व पुलिस महकमे के अधिकारी सभी खामोश बैठे है. जनता लुटती है तो लूटे किसे परवाह है .
विगत दिनों महारास्ट्र में तेल माफियाओं द्वारा एक अधिकारी को जिन्दा जलाये जाने के बाद यूपी सहित कई प्रदेशों की सरकारों ने अपने यहाँ व्यापक छाप्पामारी कर तेल माफियाओं पर कहर बरपा दिया था. परन्तु उत्तराखंड ने इससे कोई सबक नहीं लिये जनहित के इस मुद्दे पर सरकार की ख़ामोशी एक प्रश्नचिन्न है.
पहाड़ के लोगों का नासीब तो देखिये,पृथक राज्य बन जाने के बाद भी जस-का-तस,कुछ भी तो नहीं बदला ,आखिर जनता जाये-तो-जाये कहाँ..? किसके पास जाकर अपना दर्द बयां करे .यहाँ तो सभी चोर-चोर मौसेरे भाई हैं .
प्रदेश के पहाड़ी छेत्रों में आज भी बिजली नदारद,गैस एजेंसिओं से गैस के सिलेंडर नदारद,तो सस्ते गल्ले की दुकानों से मिटटी तेल नदारद.सबकुछ नदारद सरकार फिर भी मस्त, इसे कहते है सत्ता का नशा.
सत्ता के नशे में डूबी सरकार के कारिंदों को भी सब कुछ मालूम है.की तेल का यह खेल नजीबाबाद व रूडकी के लंडोरा इलाके से शुरू होता है.इन दोनों ही इलाकों में स्तःपित डिपो से सस्ते गल्ले की दुकानों के लिये मिटटी तेल की आपूर्ति टेंकरों के माध्यम से की जाती है.परन्तु इनमे से अधिकाँश टेंकर अपने गंतव्य तक पहुँच ही नहीं पातें है.
हमने इस पूरे खेल को समजने के लिये उन सभी चुंगी व बारिअरों को खंगाल्ला जहाँ से होकर ये टेंकर गुज़रते हैं .इसमें कई चोंकाने वाले तथ्य उभर कर सामने आये.
विगत दिनों महारास्ट्र में तेल माफियाओं द्वारा एक अधिकारी को जिन्दा जलाये जाने के बाद यूपी सहित कई प्रदेशों की सरकारों ने अपने यहाँ व्यापक छाप्पामारी कर तेल माफियाओं पर कहर बरपा दिया था. परन्तु उत्तराखंड ने इससे कोई सबक नहीं लिये जनहित के इस मुद्दे पर सरकार की ख़ामोशी एक प्रश्नचिन्न है.
पहाड़ के लोगों का नासीब तो देखिये,पृथक राज्य बन जाने के बाद भी जस-का-तस,कुछ भी तो नहीं बदला ,आखिर जनता जाये-तो-जाये कहाँ..? किसके पास जाकर अपना दर्द बयां करे .यहाँ तो सभी चोर-चोर मौसेरे भाई हैं .
प्रदेश के पहाड़ी छेत्रों में आज भी बिजली नदारद,गैस एजेंसिओं से गैस के सिलेंडर नदारद,तो सस्ते गल्ले की दुकानों से मिटटी तेल नदारद.सबकुछ नदारद सरकार फिर भी मस्त, इसे कहते है सत्ता का नशा.
सत्ता के नशे में डूबी सरकार के कारिंदों को भी सब कुछ मालूम है.की तेल का यह खेल नजीबाबाद व रूडकी के लंडोरा इलाके से शुरू होता है.इन दोनों ही इलाकों में स्तःपित डिपो से सस्ते गल्ले की दुकानों के लिये मिटटी तेल की आपूर्ति टेंकरों के माध्यम से की जाती है.परन्तु इनमे से अधिकाँश टेंकर अपने गंतव्य तक पहुँच ही नहीं पातें है.
हमने इस पूरे खेल को समजने के लिये उन सभी चुंगी व बारिअरों को खंगाल्ला जहाँ से होकर ये टेंकर गुज़रते हैं .इसमें कई चोंकाने वाले तथ्य उभर कर सामने आये.
सम्मानित पाठकों को यह जानकर आश्चर्ये होगा की नजीबाबाद व रूडकी के लंडोरा डिपो से उत्तराखंड के लिये मिटटी का तेल लेकर चलने वाले कई टेंकरों ने प्रदेश की सीमा में प्रवेश ही नहीं किया.तेल माफियाओं ने इन्हें पहले से ही खरीद कर अन्य जगह सप्लाई हेतु व्यवस्ता बनारखी थी. इसी तरह कुछ टेंकर उत्तराखंड की सीमा में प्रवेश तो हुए लेकिन अपने गंतव्य पर पहुंचने के बजाये कहीं और पहुँच गए.जांच आगे बढाने पर मालूम हुआ की मिटटी तेल से लादे ये सभी टेंकर विभिन्न पेट्रोल पंपों व कई अन्य उद्योगों को सप्लाई कर दिए गए हैं .वर्तमान में हरिद्वार स्तिथ सिडकुल औधियोगिक छेत्र भी मिटटी तेल की खपत का प्रमुख केंद्र बिंदु बन गया है.
अधिक जानकारी जुटाने हेतु हमने मिटटी तेल का व्यापारी बनकर कई टेंकर वालों से संपर्क साधा ,इस कड़ी में तार जुड़ते चले गये .तब पता चला की ये तो तेल माफियाओं का एक बहुत बड़ा नेटवर्क है. जिसमे तेल माफियाओं के साथ ही सत्ताधारी बीजेपी से जुड़े दो नेताओं की अहम् भूमिका है .
इन माफियाओं का इतना आंतंक है की न चाहते हुए भी लोगों को अपने तेल के टेंकर इनको बेचने पड़ते हैं दहशत के साये में जी रहे व्यापार्री इसमें ही अपनी भलाई समजते हैं. तेल कंपनियों,आपूर्ति विभाग के अधिकारिओं व तेल माफियाओं का यह गठजोड़ पहाड़ की जनता के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम कर रहा है और सरकार खामोश है ऐसा न हो की आने वाले समय में सरकार की ये ख़ामोशी पूरी बीजेपी पर भरी पढ़ जाये1