रायबरेली. अयोध्या में विवादित ढांचे को ध्वस्त करने के मामले की प्रमुख गवाह के मुताबिक, घटना वाले दिन वहां मौजूद भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कारसेवकों को खुश करने के लिए जोशीला भाषण दिया था। वे बार-बार कह रहे थे कि मंदिर वहीं बनेगा।
1990 बैच की आईपीएस अधिकारी अंजु गुप्ता द्वारा शुक्रवार को विशेष अदालत में दी गई गवाही को सीबीआई बड़ी कामयाबी मान रही है। गुप्ता ने यह भी कहा कि विनय कटियार, उमा भारती व साध्वी ऋतंभरा ने भी उकसाने वाले भाषण दिए थे। गुप्ता 6 दिसंबर 1992 को ढांचे के ध्वस्त होने के समय फैजाबाद जिले की असिस्टेंट एसपी थीं और उन्हें आडवाणी की सुरक्षा का जिम्मा दिया गया था। वे फिलहाल रिसर्च एंड एनालाइसिस विंग (रॉ) में पदस्थ हैं।
गुप्ता नौंवे गवाह के रूप में कोर्ट में हाजिर हुई। गवाही के बाद गुप्ता से बचाव पक्ष ने जिरह की। इसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई 23 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी।
गुप्ता ने कहा कि आडवाणी के रामकथा कुंज में आते ही माहौल गर्म हो गया था। तब कुंज में भाजपा के कलराज मिश्र, दिवंगत प्रमोद महाजन और आचार्य धर्म्ेद्र के अलावा भाजपा व विहिप के करीब 100 नेता मौजूद थे। आडवाणी ने अपने भाषण में बार-बार कहा कि मंदिर विवादित करार दिए गए 2.77 एकड़ में ही बनेगा।
गुप्ता के अनुसार उन्होंने आडवाणी के पूछने पर बताया था कि लोग गुंबदों पर चढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। इस पर आडवाणी ने विवादित स्थल पर जाने और लोगों से गुंबद से उतरने की अपील करने की इच्छा जताई। वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा के बाद आडवाणी को बताया गया कि वहां जाना ठीक नहीं होगा। यदि वे किसी दुर्घटना की चपेट में आ गए तो स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाएगी।गुप्ता के मुताबिक, बाद में आडवाणी ने भारती को भेजा। वे जल्द ही वापस आ गईं। भारती ने बताया कि उन्होंने लोगों को छड़ों, हथौड़े आदि के साथ देखा है। जब मस्जिद के गुंबद गिरा दिए गए तब भारती व ऋतंभरा परस्पर गले लग र्गई और उन्होंने मिठाइयां बांटीं। उन्होंने आडवाणी और भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी को भी बधाई दी। किसी भी नेता ने विध्वंस रोकने की अपील नहीं की।
गुप्ता ने बताया कि तत्कालीन डीजीपी एससी दीक्षित ने ड्यूटी पर तैनात सुरक्षाकर्मियों को बधाई दी। दीक्षित ने यह भी कहा कि सहयोग करने और कोई कार्रवाई नहीं करने के लिए उनका नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज होगा।
रॉ की इस अधिकारी के बयान को आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार, अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, विष्णु हरि डालमिया और साध्वी ऋतंभरा के खिलाफ 1993 में दर्ज फौजदारी मामले के लिहाज से अहम समझा जा रहा है। इन आठों नेताओं पर आईपीसी की धारा 120बी, 153ए व 153बी तथा 505 के तहत मुख्यत: भड़काऊ भाषण देने और अव्यवस्था फैलाने के मामले दर्ज किए गए थे।
सीबीआई की विशेष अदालत ने सबूतों के अभाव में आडवाणी को 2003 में बरी कर दिया था। फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सभी आरोपियों पर पुन: मुकदमा चलाने का आदेश दिया था।
अंजु गुप्ता की गवाही के कुछ अन्य अंश
- 6 दिसंबर 1992 को विवादित स्थल से 150 मीटर दूर मंच बनाया गया था।
- इस मंच पर आडवाणी के अलावा मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार, विहिप के अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, विष्णु हरि डालमिया और साध्वी ऋतंभरा मौजूद थे।
- तीनों गुंबद गिरने के बाद मंच पर खुशी और जश्न का माहौल था।
- विवादित ढांचे का पहला गुंबद दोपहर 2 बजे, दूसरा 3 बजे और तीसरा 4:30 बजे गिरा।अयोध्या प्रकरण में 49 एफआईआर दर्ज
- अयोध्या मामले में 49 एफआईआर दर्ज हुई थीं। इनमें से दो (क्रमांक 197 व 198) विवादित ढांचा गिराए जाने को लेकर हैं।
- मामला संख्या 198 भाजपा और विहिप के आठ नेताओं पर है। इसकी सुनवाई रायबरेली में चल रही है।
- मुकदमा संख्या 197 की सुनवाई लखनऊ में विशेष अदालत में होनी है। इसमें शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे समेत 59 लोग आरोपी हैं।
- अयोध्या की विशेष अदालत की सुनवाई फिलहाल नहीं हो रही है क्योंकि 21 आरोपियों ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी है।
* कैसे ढहा दी गई बाबरी मस्जिद
* अब्रहाम आयोग की रिपोर्ट लीकबाबरी मस्जिद :
कब-कब क्या-क्या हुआअयोध्या में राम जन्मभूमि का इतिहास कई सदी पुराना है। उत्तर प्रदेश के अयोध्या का विवाद देश के हिंदू और मुस्लिम, दोनों समुदाय के बीच तनाव का सबसे बड़ा कारण है। इसी के साथ देश की राजनीति को को भी प्रभावित करता रहा है। भाजपा, आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद जैसे भगवा संगठन इस विवादास्पद स्थल पर मंदिर बनाना चाहती है, जहाँ पहले मस्जिद थी। आईए जानते हैं समय का पहिया कैसे-कैसे चला और इसी के साथ भारतीय राजनीति के साथ भारतीय समुदाय में भी क्या-क्या बदलाव और परिवर्तन आया।
1528 : बात पांच सौ साल से भी अधिक पुरानी है। जब अयोध्या में एक मस्जिद का निर्माण किया गया लेकिन कुछ हिंदूओं को कहना था कि इसी जमीन पर भगवान राम का जन्म हुआ था। यह मस्जिद बाबर ने बनवाई थी जिसके कारण इसे बाबरी मस्जिद कहा जाने लगा। लेकिन कई इतिहासकारों का मानना है कि बाबर कभी अयोध्या गया ही नहीं।
1853 : मस्जिद के निर्माण के करीब तीन सौ साल बाद पहली बार इस स्थान के पास दंगे हुए।
1859 : ब्रिटिश सरकार ने विवादित स्थल पर बाड़ लगा दी और परिसर के भीतरी हिस्से में मुसलमानों को और बाहरी हिस्से में हिंदुओं को प्रार्थना करने की इजाजत दी।
1949 : भगवान राम की मूर्तियां कथित तौर पर मस्जिद में पाई गयीं. माना जाता है कि कुछ हिंदूओं ने ये मूर्तियां वहां रखवाईं थीं. मुसलमानों ने इस पर विरोध व्यक्त किया। जिसके बाद मामला कोर्ट में गया। जिसके बाद सरकार ने स्थल को विवादित घोषित करके ताला लगा दिया।
1984 : विश्व हिंदू परिषद ने इस विवादित स्थल पर राम मंदिर का निर्माण करने के लिए एक समिति का गठन किया. जिसका नेतृत्व बाद में भाजपा के के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने किया।
1992 : भाजपा, विश्व हिंदू परिषद और शिव सेना के कार्यकर्ताओं ने 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद को तोड़ दिया। जिसके बाद पूरे देश में हिंदू और मुसलमानों के बीच दंगे भड़क उठे। दो हजार से भी अधिक लोगों की इसमें जान गई।
2001 : बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर पूरे देश में तनाव बढ़ गया और जिसके बाद विश्व हिंदू परिषद ने विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण करने के अपना संकल्प दोहराया। फ़रवरी 2002 : भाजपा की अपनी गलती का अहसास। भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को शामिल करने से इनकार कर दिया. विश्व हिंदू परिषद ने 15 मार्च से राम मंदिर निर्माण कार्य शुरु करने की घोषणा कर दी. सैकड़ों हिंदू कार्यकर्ता अयोध्या में इकठ्ठा हुए. अयोध्या से लौट रहे हिंदू कार्यकर्ता जिस रेलगाड़ी में यात्रा कर रहे थे उस पर गोधरा में हुए हमले में 58 कार्यकर्ता मारे गए।
13 मार्च, 2002 : सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फ़ैसले में कहा कि अयोध्या में यथास्थिति बरक़रार रखी जाएगी और किसी को भी सरकार द्वारा अधिग्रहीत ज़मीन पर शिलापूजन की अनुमति नहीं होगी. केंद्र सरकार ने कहा कि अदालत के फ़ैसले का पालन किया जाएगा।
15 मार्च, 2002 : विश्व हिंदू परिषद और केंद्र सरकार के बीच इस बात को लेकर समझौता हुआ कि विहिप के नेता सरकार को मंदिर परिसर से बाहर शिलाएं सौंपेंगे. रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत परमहंस रामचंद्र दास और विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक सिंघल के नेतृत्व में लगभग आठ सौ कार्यकर्ताओं ने सरकारी अधिकारी को अखाड़े में शिलाएं सौंपीं।
22 जून, 2002 : विश्व हिंदू परिषद ने मंदिर निर्माण के लिए विवादित भूमि के हस्तांतरण की माँग उठाई।
जनवरी 2003 : रेडियो तरंगों के ज़रिए ये पता लगाने की कोशिश की गई कि क्या विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद परिसर के नीचे किसी प्राचीन इमारत के अवशेष दबे हैं, कोई पक्का निष्कर्ष नहीं निकला।
मार्च 2003 : केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से विवादित स्थल पर पूजापाठ की अनुमति देने का अनुरोध किया जिसे ठुकरा दिया गया।
अप्रैल 2003 : इलाहाबाद हाइकोर्ट के निर्देश पर पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग ने विवादित स्थल की खुदाई शुरू की, जून महीने तक खुदाई चलने के बाद आई रिपोर्ट में कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकला।
मई 2003 : सीबीआई ने 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी सहित आठ लोगों के ख़िलाफ पूरक आरोपपत्र दाखिल किए।
june 2003 : काँची पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती ने मामले को सुलझाने के लिए मध्यस्थता की और उम्मीद जताई कि जुलाई तक अयोध्या मुद्दे का हल निश्चित रूप से निकाल लिया जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
अगस्त 2003 : भाजपा नेता और उप प्रधानमंत्री ने विहिप के इस अनुरोध को ठुकराया कि राम मंदिर बनाने के लिए विशेष विधेयक लाया जाए।
अप्रैल 2004 : आडवाणी ने अयोध्या में अस्थायी राममंदिर में पूजा की और कहा कि मंदिर का निर्माण ज़रूर किया जाएगा।
जनवरी 2005 : लालकृष्ण आडवाणी को अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस में उनकी भूमिका के मामले में अदालत में तलब किया गया।
जुलाई 2005 : पाँच हथियारबंद आतंकवादियों ने विवादित परिसर पर हमला किया। इसमें पाँचों समेत सहित छह लोग मारे गए।
28 जुलाई 2005 : लालकृष्ण आडवाणी 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में रायबरेली की अदालत में पेश। अदालत में लालकृष्ण आडवाणी के ख़िलाफ़ आरोप तय।
20 अप्रैल 2006 : यूपीए सरकार ने लिब्रहान आयोग के समक्ष लिखित बयान में आरोप लगाया कि बाबरी मस्जिद को ढहाया जाना सुनियोजित षड्यंत्र का हिस्सा था और इसमें भाजपा, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, बजरंग दल और शिव सेना के शामिल।
जुलाई 2006 : सरकार ने अयोध्या में विवादित स्थल पर बने अस्थाई राम मंदिर की सुरक्षा के लिए बुलेटप्रूफ़ काँच का घेरा बनाए जाने का प्रस्ताव किया. मुस्लिम समुदाय ने विरोध किया।
30 जून 2009 : बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले की जाँच के लिए गठित लिब्रहान आयोग ने 17 वर्षों के बाद अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपी।
23 नवंबर 2009 : एक अंग्रेजी अखबार में आयोग की रिपोर्ट लीक, संसद में हंगामा।