वर्तमान समय में उत्तराखंड प्रदेश के मुखिया की कमान
संभाल रहे डॉ. निशंक का राजनेतिक व निजी
जीवन अत्येंत ही संघर्षपूर्ण रहा है।
एक कुशल व संघर्षशील राजनेता की छवि
रखने वाले इस नेता ने अपने अबतक के
जीवन सफ़र में बहुत कुछ पाया
तो बहुत कुछ खोया भी होगा।
ये बात अलग है की उनके
प्रतिद्वंदियों और विरोधिओं को
उनकी "कुर्सी" तो नज़र आती है,परन्तु
कुर्सी तक पहुँचने का "संघर्ष" दिखाई
नहीं देता। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद से तो उनपर तरह-तरह के आरोप लगाये
जाते रहे हैं।
डॉ. निशंक के अब तक के सफ़र पर "एक नज़र" डालते हुये प्रस्तुत हैं उनका संक्षिप्त जीवन परिचय ( भाग -१)
शेष परिचय व उनके कार्यकाल का लेखा-जोखा, भाग- २ में,शीघ्र प्रकाशित होगा।
नाम- डॉ0 रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
पिता का नाम- स्व0 श्री परमानन्द पोखरियाल
माता का नाम- स्व0 श्रीमति विश्वम्भरी देवी पोखरियाल
जन्म स्थान-ग्राम-पिनानी, तहसील-चौबट़टाखाल,
जनपद पौडी गढवाल,
उत्तराखण्ड, भारत
जन्म तिथि-15 अगस्त 1959
पत्नी का नाम--श्रीमति कुसुमकान्ता पोखरियाल
मूल निवास- ग्राम व पोस्ट - पिनानी, तहसील- पौडी,
जनपद - पौडी गढवाल,
उत्तराखण्ड, भारत
व्यवसाय -राजनीति, साहित्य सेवा, पत्रकारिता, प्रधान सम्पादक दैनिक सीमान्त वार्ता l
राजनीतिक पृष्ठभूमि
- पृथक उत्तराखण्ड राज्य निर्माण हेतु सन् 1978 से संघर्षरत।
- सन् 1987 में उत्तराखण्ड प्रदेश संघर्ष समिति के केन्द्रीय प्रवक्ता चयनित हुए।
- उत्तराखण्ड राज्य निर्माण में सक्रिय भूमिका ।
- खासतौर से उधमसिंह व हरिद्वार को उत्तराखण्ड में मिलाए जाने में उल्लेखनीय योगदान ।
- सन् 1991, 1993 व 1996 में लगातार तीन बार कर्णप्रयाग, विधानसभा क्षेत्र से उत्तर प्रदेश की गौरवशाली विधानसभा हेतु निर्वाचित।
- उत्तर प्रदेश विधानसभा की अनेक समितियों के सदस्य तथा अध्यक्ष नामित।
- सन् 1997 में अविभाजित उत्तर प्रदेश में पर्वतीय विकास विभाग के कैबिनेट मंत्री रहे।
- सन् 1998 में अविभाजित उत्तरप्रदेश में संस्कृति, पूत, धर्मस्व व कला विभाग के कैबिनेट मंत्री रहे।
- 9 नवम्बर,2000 को उत्तराखण्ड प्रदेश के गठन के उपरान्त उत्तराखण्ड सरकार में वित्त, ग्रामीण विकास, पेयजल, चिकित्सा शिक्षा व राजस्व सहित बारह विभागों के कैबिनेट मंत्री रहे।
- सन् 2007 में थलीसैंण विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर उत्तराखण्ड की गौरवशाली विधानसभा हेतु निर्वाचित।
- 2007 में उत्तराखण्ड सरकार में स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, आयुष, आयुष शिक्षा, विज्ञान व प्रौद्योगिकी एवं भाषा विभाग के केबिनेट मंत्री रहे।
- 27 जून 2009 को उत्तराखण्ड के यशस्वी मुख्यमंत्री पद पर आसीन।
पत्रकारिता व अन्य गतिविधियां
- विगत तीस वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्यरत व तेईस वर्षों से दैनिक ‘’सीमान्त वार्ता’’ के प्रधान सम्पादक।
- ‘’नई चेतना’’ शोध संस्थान के संस्थापक निदेशक।
- ‘’नई राह नई चेतना” शोध पत्रिका के सम्पादक।
- कई राष्ट्रीय व स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं से सम्बद्व।
- अनेक राष्ट्रीय एंव स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में निरन्तर कविताएं,कहानियां और लेख प्रकाशित।
- ‘परम हिमालय निधी न्यास के संस्थापक अध्यक्ष।
- वर्तमान में दो दर्जन से अधिक सामाजिक/ साहित्यिक/ सांस्कृतिक संस्थाओं से जुडे हुए ।
साहित्यिक पृष्ठभूमि / प्रकाशित कृतियां
- समर्पण (कविता संग्रह) 1983
- नवांकुर (कविता संग्रह) 1984
- मुझे विधाता बनना है (कविता संग्रह) 1985
- तुम भी मेरे साथ चलो (कविता संग्रह) 1986(पुनर्संस्करण 2009)
- देश हम जलने न देंगे (कविता संग्रह) 1988 (पुनर्संस्करण 2009)
- बस एक ही इच्छा (कथा संग्रह) 1989 (पुनर्संस्करण 2008)
- जीवन पथ में (कविता संग्रह) 1989 (पुनर्संस्करण 2009)
- मातृभूमि के लिए (कविता संग्रह) 1992 (पुनर्संस्करण 2009)
- क्या नहीं हो सकता (कथा संग्रह) 1993 (पुनर्संस्करण 2008)
- भीड साक्षी है (कथा संग्रह) 1993(पुनर्संस्करण 2008)
- रोशनी की एक किरण (कथा संग्रह) 1996
- मेरी व्यथा, मेरी कथा (शहीदों के पत्रों का संकलन) सम्पादन 1998
- कोई मुश्किल नहीं (कविता संग्रह) 2005
- प्रतीक्षा (कविता संग्रह) 2005
- खडे हुए प्रश्न (कथा संग्रह) 2006
- ए वतन तेरे लिए (कविता संग्रह) 2007
- विपदा जीवित है (कथा संग्रह) 2007
- मेरे संकल्प (कथा संग्रह) 2008
- एक और कहानी (कथा संग्रह) 2008
- निशान्त (उपन्यास) 2008
- मेजर निराला (उपन्यास) 2008
- बीरा (उपन्यास) 2008
- पहाड से ऊंचा (उपन्यास) 2008
- हिमालय का महाकुम्भ – नन्दा राजजात यात्रा 2008
- छूट गया पडाव(उपन्यास) 2009
- मील के पत्थर (कथा संग्रह) 2009
- टूटते दायरे (कथा संग्रह) 2009
- संघर्ष जारी है (कविता संग्रह) 2009
प्रकाशनाधीन कृतियां
धरती का स्वर्ग उत्तराखण्डः भाग 1- पावन गंगा एंव उत्तराखण्ड की नदियां
धरती का स्वर्ग उत्तराखण्डः भाग 2- अतुल्य हिमालय
पल्लवी (उपन्यास)
अपना-पराया (उपन्यास)
शक्तिरूपा (उपन्यास)
नन्दा-दि हिमालयन गॉडेस (हिमालय का महाकुम्भ-नन्दा राजजात का अंग्रेजी अनुवाद)
देश विदेश की अन्य भाषाओं में अनूदित कृतियां
- मद्रास विश्वविद्यालय द्वारा हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ0 सैयद रहमतुल्ला के सानिध्य में ‘ए वतन तेरे लिए’ व ‘खडे हुए प्रश्न’ का तमिल व तेलगू भाषाओं में अनुवाद।
- प्रोफेसर कुन्दा पेडनेकर व श्री विलास गीते के सानिध्य में ‘खडे हुए प्रश्न’ व ‘क्या नही हो सकता’ का मराठी में अनुवाद।
- हैम्बर्ग विश्वविद्यालय द्वारा ‘’बस एक ही इच्छा’’, ‘’प्रतिक्षा’’ व ‘’तुम और मै’’ कृतियों का जर्मनी में अनुवाद। अनेक कृतियां पाठ्याक्रमों में सम्मिलित।
- ‘भीड साक्षी है’ कृति का अंग्रेजी में अनुवाद व बर्लिन, जर्मनी में अंग्रजी के सुविख्यात लेखक डेविड फ्राउले द्वारा विमोचन।
- प्रो0 आरेन्सकाया तांतनियां द्वारा कहानियों का रशियन में अनुवाद।
डॉ0 निशंक के साहित्य पर शोध कार्य
डॉ0 नन्द किशोर ढौंडियाल ‘’अरूण’’ के निर्देशन में डॉ0 मंजुला ढौंडियाल द्वारा डॉ0 निशंक के सम्पूर्ण साहित्य पर शोध कार्य पूर्ण ।
डॉ0 सुधाकर तिवारी, (डी0लिट0) उपाचार्य के निर्देशन राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, महमूदाबाद,सीतापुर उत्तर प्रदेश में डॉ0 निशंक के साहित्य पर शोध कार्य।
डॉ0 मंजुला राणा के निर्देशन में सुश्री सावित्री रावत द्वारा डॉ0 निशंक के साहित्य पर गढवाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर मे शोध कार्य।
डॉ0 कुसुम डोभाल मिश्र, के निर्देशन में श्री विनोद सिंह रावत द्वारा डॉ0 निशंक के साहित्य में मानव मूल्य विषय पर गढवाल विश्वविद्यालय, के टिहरी परिसर शोध कार्य।
मद्रास विश्वविद्यालय के आचार्य एंव हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ0 सैयद रहमतुल्ला के निर्देशन में सम्पूर्ण साहित्य का समग्र मूल्याकन पर शोध कार्य।
डॉ0 नवीन चन्द्र लोहनी के निर्देशन में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ में डॉ0 निशंक के साहित्य पर शोध कार्य।
डॉ0 पुष्पा खण्डूडी के निर्देशन में गढवाल विश्वविद्यालय मे डॉ0 निशंक के कथा साहित्य पर शोध कार्य।
डॉ0 राधेश्याम शुक्ल के निर्देशन में डॉ0 निशंक के कथा साहित्य पर कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय मे शोध कार्य।
डॉ0 श्यामधर तिवारी, डॉ0 विनय डबराल 'रजनीश', डॉ0 नागेन्द्र ध्यानी 'अरूण', डॉ0 सविता मोहन, डॉ0 नन्दकिशोर ढौंडियाल एवं डॉ0 सुधाकर तिवारी सहित अनेक शिक्षाविदों द्वारा डॉ0 निशंक के साहित्य पर पुस्तक/पुस्तिकाओं का प्रकाशन।
प्रो0 हरिमोहन के निर्देशन में आगरा विश्वविद्यालय में डॉ0 निशंक के साहित्य पर शोध कार्य।
प्रो0 देव सिंह पोखरिया के निर्देशन में कुमाऊं विश्वविद्यालय के अल्मोडा परिसर में डॉ0 निशंक के साहित्य पर कुमारी सोनिका रानी द्वारा शोध कार्य।
हॉलैण्ड स्थित विश्वविद्यालय के अर्न्तगत डॉ0 मोहन कान्त गौतम के निर्देशन में डच भाषा मे शोध कार्य जारी ।
इसके अतिरिक्त देश के अनेक विश्वविद्यालयों में डॉ निशंक का साहित्य पाठ़यक्रमों में सम्मिलित। अनेकों अन्य विश्वविद्यालयों में उनके साहित्य पर शोध कार्य जारी।
सम्मान
- "देश हम जलनें न देंगे’ कृति हेतु तत्कालीन राष्ट्रपति श्री ज्ञानी जैल सिंह द्वारा राष्ट्रपति भवन में सम्मानित।
- ‘मातृभूमि के लिए’ कृति हेतु तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ0 शंकर दयाल शर्मा द्वारा राष्ट्रपति भवन में सम्मानित।
- ‘ऐ वतन तेरे लिए’ कृति के विमोचन के अवसर पर तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम द्वारा राष्ट्रपति भवन में संस्कृति संस्था के सौजन्य से ‘साहित्य गौरव’’ सम्मान से सम्मानित।
- अर्न्तराष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, कोलम्बो(श्रीलंका) द्वारा आयुष के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य हेतु दुनिया के 99 देशों के प्रतिनिधियों के मध्य सम्मान व ‘’डॉक्टर ऑफ साईन्स’’ की मानद उपाधि।
- ‘राष्ट्रधर्मिता और कवि निशंक’ कृति के विमोचन अवसर पर तत्कालीन उपराष्ट्रपति श्री भैंरों सिंह शेखावत द्वारा सम्मानित।
- ‘खडे हुए प्रश्न’ कृति के विमोचन- अवसर पर भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी द्वारा ‘साहित्य भारती’ सम्मान।
- ‘कोई मुश्किल नही’ कृति के विमोचन- अवसर पर प्रसिद्व् फिल्म निर्माता डॉ0 रामानन्द सागर द्वारा ‘साहित्य चेता’ सम्मान।
- राष्ट्रभक्ति से ओत-पोत रचनाओं हेतु राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रख्यात महानुभावों एवं संस्थाओं द्वारा सम्मानित।
- हैम्बर्ग विश्वविद्यालय जर्मनी के अतिरिक्त हॉलैण्ड, नॉर्वे, रूस सहित कई यूरोपीय देशों व विश्वविद्यालयों द्वारा साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य हेतु सम्मानित।
- ‘भारत अर्न्तराष्ट्रीय मैत्री समिति’ द्वारा ‘’भारत गौरव सम्मान-2007’’
- हिमालय लोक कला संस्थान, नई दिल्ली द्वारा ‘’साहित्य भूषण’’ सम्मान।
उत्तराखण्ड उत्थान समिति, हरिद्वार द्वारा ‘’गढ रत्न’’ सम्मान।
- हिमालय रक्षा मंच, चण्डीगढ द्वारा ‘’हिमपुत्र’’ सम्मान।
- उत्कृष्ट साहित्य सेवा के लिये अर्न्तराष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, कोलम्बो(श्रीलंका) द्वारा ‘’डॉक्टर ऑफ लिटरेचर’’ सम्मान।
संभाल रहे डॉ. निशंक का राजनेतिक व निजी
जीवन अत्येंत ही संघर्षपूर्ण रहा है।
एक कुशल व संघर्षशील राजनेता की छवि
रखने वाले इस नेता ने अपने अबतक के
जीवन सफ़र में बहुत कुछ पाया
तो बहुत कुछ खोया भी होगा।
ये बात अलग है की उनके
प्रतिद्वंदियों और विरोधिओं को
उनकी "कुर्सी" तो नज़र आती है,परन्तु
कुर्सी तक पहुँचने का "संघर्ष" दिखाई
नहीं देता। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद से तो उनपर तरह-तरह के आरोप लगाये
जाते रहे हैं।
डॉ. निशंक के अब तक के सफ़र पर "एक नज़र" डालते हुये प्रस्तुत हैं उनका संक्षिप्त जीवन परिचय ( भाग -१)
शेष परिचय व उनके कार्यकाल का लेखा-जोखा, भाग- २ में,शीघ्र प्रकाशित होगा।
नाम- डॉ0 रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
पिता का नाम- स्व0 श्री परमानन्द पोखरियाल
माता का नाम- स्व0 श्रीमति विश्वम्भरी देवी पोखरियाल
जन्म स्थान-ग्राम-पिनानी, तहसील-चौबट़टाखाल,
जनपद पौडी गढवाल,
उत्तराखण्ड, भारत
जन्म तिथि-15 अगस्त 1959
पत्नी का नाम--श्रीमति कुसुमकान्ता पोखरियाल
मूल निवास- ग्राम व पोस्ट - पिनानी, तहसील- पौडी,
जनपद - पौडी गढवाल,
उत्तराखण्ड, भारत
व्यवसाय -राजनीति, साहित्य सेवा, पत्रकारिता, प्रधान सम्पादक दैनिक सीमान्त वार्ता l
राजनीतिक पृष्ठभूमि
- पृथक उत्तराखण्ड राज्य निर्माण हेतु सन् 1978 से संघर्षरत।
- सन् 1987 में उत्तराखण्ड प्रदेश संघर्ष समिति के केन्द्रीय प्रवक्ता चयनित हुए।
- उत्तराखण्ड राज्य निर्माण में सक्रिय भूमिका ।
- खासतौर से उधमसिंह व हरिद्वार को उत्तराखण्ड में मिलाए जाने में उल्लेखनीय योगदान ।
- सन् 1991, 1993 व 1996 में लगातार तीन बार कर्णप्रयाग, विधानसभा क्षेत्र से उत्तर प्रदेश की गौरवशाली विधानसभा हेतु निर्वाचित।
- उत्तर प्रदेश विधानसभा की अनेक समितियों के सदस्य तथा अध्यक्ष नामित।
- सन् 1997 में अविभाजित उत्तर प्रदेश में पर्वतीय विकास विभाग के कैबिनेट मंत्री रहे।
- सन् 1998 में अविभाजित उत्तरप्रदेश में संस्कृति, पूत, धर्मस्व व कला विभाग के कैबिनेट मंत्री रहे।
- 9 नवम्बर,2000 को उत्तराखण्ड प्रदेश के गठन के उपरान्त उत्तराखण्ड सरकार में वित्त, ग्रामीण विकास, पेयजल, चिकित्सा शिक्षा व राजस्व सहित बारह विभागों के कैबिनेट मंत्री रहे।
- सन् 2007 में थलीसैंण विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर उत्तराखण्ड की गौरवशाली विधानसभा हेतु निर्वाचित।
- 2007 में उत्तराखण्ड सरकार में स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, आयुष, आयुष शिक्षा, विज्ञान व प्रौद्योगिकी एवं भाषा विभाग के केबिनेट मंत्री रहे।
- 27 जून 2009 को उत्तराखण्ड के यशस्वी मुख्यमंत्री पद पर आसीन।
पत्रकारिता व अन्य गतिविधियां
- विगत तीस वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्यरत व तेईस वर्षों से दैनिक ‘’सीमान्त वार्ता’’ के प्रधान सम्पादक।
- ‘’नई चेतना’’ शोध संस्थान के संस्थापक निदेशक।
- ‘’नई राह नई चेतना” शोध पत्रिका के सम्पादक।
- कई राष्ट्रीय व स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं से सम्बद्व।
- अनेक राष्ट्रीय एंव स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में निरन्तर कविताएं,कहानियां और लेख प्रकाशित।
- ‘परम हिमालय निधी न्यास के संस्थापक अध्यक्ष।
- वर्तमान में दो दर्जन से अधिक सामाजिक/ साहित्यिक/ सांस्कृतिक संस्थाओं से जुडे हुए ।
साहित्यिक पृष्ठभूमि / प्रकाशित कृतियां
- समर्पण (कविता संग्रह) 1983
- नवांकुर (कविता संग्रह) 1984
- मुझे विधाता बनना है (कविता संग्रह) 1985
- तुम भी मेरे साथ चलो (कविता संग्रह) 1986(पुनर्संस्करण 2009)
- देश हम जलने न देंगे (कविता संग्रह) 1988 (पुनर्संस्करण 2009)
- बस एक ही इच्छा (कथा संग्रह) 1989 (पुनर्संस्करण 2008)
- जीवन पथ में (कविता संग्रह) 1989 (पुनर्संस्करण 2009)
- मातृभूमि के लिए (कविता संग्रह) 1992 (पुनर्संस्करण 2009)
- क्या नहीं हो सकता (कथा संग्रह) 1993 (पुनर्संस्करण 2008)
- भीड साक्षी है (कथा संग्रह) 1993(पुनर्संस्करण 2008)
- रोशनी की एक किरण (कथा संग्रह) 1996
- मेरी व्यथा, मेरी कथा (शहीदों के पत्रों का संकलन) सम्पादन 1998
- कोई मुश्किल नहीं (कविता संग्रह) 2005
- प्रतीक्षा (कविता संग्रह) 2005
- खडे हुए प्रश्न (कथा संग्रह) 2006
- ए वतन तेरे लिए (कविता संग्रह) 2007
- विपदा जीवित है (कथा संग्रह) 2007
- मेरे संकल्प (कथा संग्रह) 2008
- एक और कहानी (कथा संग्रह) 2008
- निशान्त (उपन्यास) 2008
- मेजर निराला (उपन्यास) 2008
- बीरा (उपन्यास) 2008
- पहाड से ऊंचा (उपन्यास) 2008
- हिमालय का महाकुम्भ – नन्दा राजजात यात्रा 2008
- छूट गया पडाव(उपन्यास) 2009
- मील के पत्थर (कथा संग्रह) 2009
- टूटते दायरे (कथा संग्रह) 2009
- संघर्ष जारी है (कविता संग्रह) 2009
प्रकाशनाधीन कृतियां
धरती का स्वर्ग उत्तराखण्डः भाग 1- पावन गंगा एंव उत्तराखण्ड की नदियां
धरती का स्वर्ग उत्तराखण्डः भाग 2- अतुल्य हिमालय
पल्लवी (उपन्यास)
अपना-पराया (उपन्यास)
शक्तिरूपा (उपन्यास)
नन्दा-दि हिमालयन गॉडेस (हिमालय का महाकुम्भ-नन्दा राजजात का अंग्रेजी अनुवाद)
देश विदेश की अन्य भाषाओं में अनूदित कृतियां
- मद्रास विश्वविद्यालय द्वारा हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ0 सैयद रहमतुल्ला के सानिध्य में ‘ए वतन तेरे लिए’ व ‘खडे हुए प्रश्न’ का तमिल व तेलगू भाषाओं में अनुवाद।
- प्रोफेसर कुन्दा पेडनेकर व श्री विलास गीते के सानिध्य में ‘खडे हुए प्रश्न’ व ‘क्या नही हो सकता’ का मराठी में अनुवाद।
- हैम्बर्ग विश्वविद्यालय द्वारा ‘’बस एक ही इच्छा’’, ‘’प्रतिक्षा’’ व ‘’तुम और मै’’ कृतियों का जर्मनी में अनुवाद। अनेक कृतियां पाठ्याक्रमों में सम्मिलित।
- ‘भीड साक्षी है’ कृति का अंग्रेजी में अनुवाद व बर्लिन, जर्मनी में अंग्रजी के सुविख्यात लेखक डेविड फ्राउले द्वारा विमोचन।
- प्रो0 आरेन्सकाया तांतनियां द्वारा कहानियों का रशियन में अनुवाद।
डॉ0 निशंक के साहित्य पर शोध कार्य
डॉ0 नन्द किशोर ढौंडियाल ‘’अरूण’’ के निर्देशन में डॉ0 मंजुला ढौंडियाल द्वारा डॉ0 निशंक के सम्पूर्ण साहित्य पर शोध कार्य पूर्ण ।
डॉ0 सुधाकर तिवारी, (डी0लिट0) उपाचार्य के निर्देशन राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, महमूदाबाद,सीतापुर उत्तर प्रदेश में डॉ0 निशंक के साहित्य पर शोध कार्य।
डॉ0 मंजुला राणा के निर्देशन में सुश्री सावित्री रावत द्वारा डॉ0 निशंक के साहित्य पर गढवाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर मे शोध कार्य।
डॉ0 कुसुम डोभाल मिश्र, के निर्देशन में श्री विनोद सिंह रावत द्वारा डॉ0 निशंक के साहित्य में मानव मूल्य विषय पर गढवाल विश्वविद्यालय, के टिहरी परिसर शोध कार्य।
मद्रास विश्वविद्यालय के आचार्य एंव हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ0 सैयद रहमतुल्ला के निर्देशन में सम्पूर्ण साहित्य का समग्र मूल्याकन पर शोध कार्य।
डॉ0 नवीन चन्द्र लोहनी के निर्देशन में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ में डॉ0 निशंक के साहित्य पर शोध कार्य।
डॉ0 पुष्पा खण्डूडी के निर्देशन में गढवाल विश्वविद्यालय मे डॉ0 निशंक के कथा साहित्य पर शोध कार्य।
डॉ0 राधेश्याम शुक्ल के निर्देशन में डॉ0 निशंक के कथा साहित्य पर कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय मे शोध कार्य।
डॉ0 श्यामधर तिवारी, डॉ0 विनय डबराल 'रजनीश', डॉ0 नागेन्द्र ध्यानी 'अरूण', डॉ0 सविता मोहन, डॉ0 नन्दकिशोर ढौंडियाल एवं डॉ0 सुधाकर तिवारी सहित अनेक शिक्षाविदों द्वारा डॉ0 निशंक के साहित्य पर पुस्तक/पुस्तिकाओं का प्रकाशन।
प्रो0 हरिमोहन के निर्देशन में आगरा विश्वविद्यालय में डॉ0 निशंक के साहित्य पर शोध कार्य।
प्रो0 देव सिंह पोखरिया के निर्देशन में कुमाऊं विश्वविद्यालय के अल्मोडा परिसर में डॉ0 निशंक के साहित्य पर कुमारी सोनिका रानी द्वारा शोध कार्य।
हॉलैण्ड स्थित विश्वविद्यालय के अर्न्तगत डॉ0 मोहन कान्त गौतम के निर्देशन में डच भाषा मे शोध कार्य जारी ।
इसके अतिरिक्त देश के अनेक विश्वविद्यालयों में डॉ निशंक का साहित्य पाठ़यक्रमों में सम्मिलित। अनेकों अन्य विश्वविद्यालयों में उनके साहित्य पर शोध कार्य जारी।
सम्मान
- "देश हम जलनें न देंगे’ कृति हेतु तत्कालीन राष्ट्रपति श्री ज्ञानी जैल सिंह द्वारा राष्ट्रपति भवन में सम्मानित।
- ‘मातृभूमि के लिए’ कृति हेतु तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ0 शंकर दयाल शर्मा द्वारा राष्ट्रपति भवन में सम्मानित।
- ‘ऐ वतन तेरे लिए’ कृति के विमोचन के अवसर पर तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम द्वारा राष्ट्रपति भवन में संस्कृति संस्था के सौजन्य से ‘साहित्य गौरव’’ सम्मान से सम्मानित।
- अर्न्तराष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, कोलम्बो(श्रीलंका) द्वारा आयुष के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य हेतु दुनिया के 99 देशों के प्रतिनिधियों के मध्य सम्मान व ‘’डॉक्टर ऑफ साईन्स’’ की मानद उपाधि।
- ‘राष्ट्रधर्मिता और कवि निशंक’ कृति के विमोचन अवसर पर तत्कालीन उपराष्ट्रपति श्री भैंरों सिंह शेखावत द्वारा सम्मानित।
- ‘खडे हुए प्रश्न’ कृति के विमोचन- अवसर पर भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी द्वारा ‘साहित्य भारती’ सम्मान।
- ‘कोई मुश्किल नही’ कृति के विमोचन- अवसर पर प्रसिद्व् फिल्म निर्माता डॉ0 रामानन्द सागर द्वारा ‘साहित्य चेता’ सम्मान।
- राष्ट्रभक्ति से ओत-पोत रचनाओं हेतु राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रख्यात महानुभावों एवं संस्थाओं द्वारा सम्मानित।
- हैम्बर्ग विश्वविद्यालय जर्मनी के अतिरिक्त हॉलैण्ड, नॉर्वे, रूस सहित कई यूरोपीय देशों व विश्वविद्यालयों द्वारा साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य हेतु सम्मानित।
- ‘भारत अर्न्तराष्ट्रीय मैत्री समिति’ द्वारा ‘’भारत गौरव सम्मान-2007’’
- हिमालय लोक कला संस्थान, नई दिल्ली द्वारा ‘’साहित्य भूषण’’ सम्मान।
उत्तराखण्ड उत्थान समिति, हरिद्वार द्वारा ‘’गढ रत्न’’ सम्मान।
- हिमालय रक्षा मंच, चण्डीगढ द्वारा ‘’हिमपुत्र’’ सम्मान।
- उत्कृष्ट साहित्य सेवा के लिये अर्न्तराष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, कोलम्बो(श्रीलंका) द्वारा ‘’डॉक्टर ऑफ लिटरेचर’’ सम्मान।
- इनके अतिरिक्त देश-विदेश स्थित 300 से अधिक सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संस्थाओं द्वारा अनेक अवसरों पर सम्मानित। (यह लेख विभिन्न सोर्सेस से प्राप्त जानकारीओं पर आधारित है,शेष परिचय
भाग- २ में,शीघ्र प्रकाशित होगा.)
भाग- २ में,शीघ्र प्रकाशित होगा.)