Saturday, August 7, 2010

लेह: राहत में मुश्किल, 600 लापता; कश्‍मीर में भी खतरा

श्रीनगर. लेह में मुसीबत ख़त्म होने का नाम नहीं ले रही है। गुरुवार की रात बादल फटने से हुई तबाही के बाद शनिवार को भारी बारिश और खराब मौसम के चलते राहत और बचाव के काम में जुटी टीमों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। बादल फटने और उसके बाद आई बाढ़ में मरने वालों की संख्‍या 130 तक पहुंच गई है। राहत और बचाव के लिए वायु सेना के तीन विमान प्रभावित क्षेत्र में पहुंच गए हैं। लापता लोगों की तादाद 600 के आसपास पहुंचने की आशंका जाहिर की जा रही है। मरने वालों की संख्या 500 से ऊपर हो सकती है क्योंकि ऊंचाई और खराब मौसम के चलते वहां पहुंचना मुश्किल साबित हो रहा है। उधर, उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में बादल फटने से कई इलाकों में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है। करालपुरा में बादल फटने और भारी बारिश के कारण लगभग सभी नदी नालों में पानी खतरे के निशान के उपर बह रहा है। इससे उत्तर और मध्य कश्मीर में बाढ़ का खतरा काफी बढ़ गया है। बाढ़ के कारण कई पुल क्षतिग्रस्त हो गए और दर्जनों गांवों का सड़क संपर्क टूट गया है।
जम्मू-कश्मीर पुलिस प्रमुख कुलदीप खोड़ा ने बताया कि करीब 130 शवों को बरामद कर लिया गया है। जबकि 370 के आसपास ज़ख़्मी बताए जाते हैं। इस तबाही का सबसे ज़्यादा असर पड़ा है लेह से 13 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद चोगलुमसार गांव पर, जहां करीब 200 लोग लापता बताए जाते हैं। राहतकर्मी इस गांव में कीचड़ और मलबे में लोगों की तलाश कर रहे हैं। सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल जे.एस. बरार का कहना है कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। पुलिस ने प्रभावित लोगों केलिए दो शिविर लगाए हैं, जिनमें करीब दो हजार लोग शरण लिए हुए हैं। पुलिस के मुताबिक मलबों में अभी लोगों के फंसे होने की आशंका है क्योंकि दूर-दराज के कई गांवों में राहत टीम खराब मौसम और कीचड़ के चलते पहुंच नहीं पाई है। खराब मौसम के चलते सेना के विमानों को लौटना पड़ा था हालांकि अभी तक प्राप्‍त सूचना के मुताबिक वायु सेना के तीन विमान चंडीगढ़ एयरबेस से राहत सामग्री लेकर प्रभावित क्षेत्रों में उतर गए हैं।

लेह एयरपोर्ट के रनवे को साफ कर दिया गया है। बारिश और बाढ़ के बाद इस रनवे पर कीचड़ इकट्ठा हो गया था। लेकिन खराब मौसम के चलते विमानों की आवाजाही रुकी हुई है। लेह-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग को चलने लायक बनाने में कुछ दिनों का वक्त लगेगा। सेना के करीब 6 हजार जवान राहत और बचाव का काम युद्धस्तर पर कर रहे हैं। खराब मौसम के कारण उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। करीब 250 पर्यटकों को भी सुरक्षित निकाला गया है। इनमें लगभग 100 विदेशी पर्यटक हैं।

इस बीच, जम्मू-कश्मीर पुलिस का कहना है कि कई इलाकों में राहत और बचाव की टीम अब तक नहीं पहुंच पाई है। जम्मू-कश्मीर पुलिस को आशंका है कि मरने वालों की तादाद बढ़ सकती है क्योंकि कई लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है। अपुष्ट ख़बरों के मुताबिक इस तबाही में करीब 500 लोग लापता बताए जा रहे हैं। इनमें सेना के करीब 25 जवान भी शामिल हैं। केंद्र सरकार ने तीन सदस्यीय दल को लेह में हुए नुकसान का जायजा लेने भेजने का फैसला किया है। इस टीम में शामिल केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आज़ाद, फारूख अब्दुल्ला और पृथ्वीराज चव्हाण लेह जाएंगे।

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने राहत और बचाव के काम में तेजी लाने के लिए 5 करोड़ रुपये की राशि तुरंत जारी कर दी है। लेह एयरपोर्ट पर रनवे के ठीक होने के बाद मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला वहां के लिए रवाना हुए थे। लेह में उमर ने घायलों और इस मुसीबत के शिकार लोगों का हालचाल जाना। गुरुवार आधी रात को आई इस कुदरती आपदा के कारण चोगलमसर में टेलीफोन एक्सचेंज, हवाई अड्डा तथा सरकारी इमारतें बह गईं। चंद मिनटों में 250 मकान ध्वस्त हुए और 8 गांव तबाह हो गए हैं। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के एक संस्थान को भी नुकसान पहुंचा है। सीआरपीएफ की दो कंपनियों के कैंप बह गए। सीआरपीएफ के प्रवक्ता ने बताया कि 12 जवान घायल हुए हैं। सड़क और दूरसंचार संपर्क टूटने के कारण लेह देश के अन्य भागों से पूरी तरह कट चुका है। सबसे ज्यादा नुकसान चोगलमसर इलाके में हुआ है। प्रधानमंत्री ने तबाही पर गहरा दुख जताते हुए मृतकों के परिजनों को एक-एक लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है। गंभीर घायलों में से प्रत्येक को 50-50 हजार रुपये दिए जाएंगे।