नई दिल्ली पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का हत्यारा सतवंत सिंह यह जानने को उत्सुक था कि दिवंगत नेता को कितनी गोलियां लगी थीं। इंदिरा गांधी के शव का पोस्टमॉर्टम करने वाले अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के चिकित्सक ने यह दावा किया है। गौरतलब है कि इस दिवंगत नेता के शव पर इस तरह के 30 गहरे जख्म थे।
इस वक्त एम्स के फोरैंसिक विभागाध्यक्ष का पद संभाल रहे डॉ. टीडी डोगरा उस वक्त सहायक प्राध्यापक थे, जब उन्हें दो अन्य विशेषज्ञों के साथ इस दिवंगत नेता के शव का पोस्टमॉर्टम करने के काम में लगाया गया था। अदालत में मुकदमे की सुनवाई के दौरान जब वह अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में पेश हुए, उस वक्त उनका सिंह से आमना सामना हुआ था। विश्राम के दौरान, वे शौचालय गए जहां उनकी मुलाकात सिंह से हुई।
डोगरा ने बताया कि सतवंत सिंह ने वहां उन्हें व्यंग्यपूर्ण लहजे में कहा ‘माफ कीजिए डॉक्टर साहब, मेरी वजह से आपको तकलीफ हो रही है।’ उसने डोगरा से कहा ‘उन्हें कितनी गोलियां लगी थीं?’ हालांकि, चिकित्सक से उसे इसका कोई जवाब नहीं मिला।
गौरतलब है कि हत्या के बाद बेअंत सिंह को सुरक्षाकर्मियों ने मार गिराया था, जबकि सतवंत सिंह को 10 गोलियां लगी थीं और उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। सतवंत को एक अन्य सहयोगी केहर सिंह के साथ मौत की सजा सुनाई गई, जिसे छह जनवरी, 1989 को तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई। डॉ. डोगरा ने बताया ‘शुरूआत में मुझे एक पुलिसकर्मी से पता चला कि गोली लगने के बाद उनको (इंदिरा को) एम्स लाया गया है। मुझे 31 अक्तूबर 1984 को ढाई बजे पोस्टमॉर्टम करने के लिए एक फोन आया। मैं डॉ. डीवी सहारन और डॉ. पीसी दीक्षित के साथ था।’
उनके द्वारा तैयार की गई पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट के मुताबिक इंदिरा की मौत गोलियों के जख्म से अधिक मात्रा में खून बहने के कारण हुई।
डॉ. डोगरा ने बताया ‘हमलावरों ने उन पर 31 गोलियां चलाई थीं, जिसमें से उन्हें 30 गोलियां लगी। 23 गोलियां तो उनके शरीर को भेदते हुए बाहर निकल गई, जब सात गोलियां शरीर के अंदर ही रह गई थीं।’
उन्होंने बताया कि इस दिवंगत नेता का पोस्टमॉर्टम ऑपरेशन कक्ष में ही दोपहर तीन बजे शुरू किया गया और यह प्रक्रिया लगभग शाम साढ़े पांच बजे तक चली।