नई दिल्ली तमाम सुरक्षा इंतजाम को धता बताते हुए कैदी जेलों से भागने में सफल हो रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, साल में 500 से अधिक कैदी जेल से भागने में सफल हो जाते हैं। साथ ही हर साल जेल तोड़ने की भी 5-6 घटनाएं हो जाती हैं।
2005 में गोवा व झारखंड में जेल तोड़ने की दो-दो घटनाएं हरुई, जबकि बिहार, गुजरात व हिमाचल प्रदेश में इस तरह की एक-एक घटना दर्ज हुई। उसी साल सभी राज्यों में जेल से भागने वाले कैदियों की संख्या 618 रही।
2006 में गोवा में तीन और मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में जेल तोड़ने की एक-एक घटना हुई। जबकि जेल से भागने वाले कैदियों की संख्या 591 थी।
केंद्र शासित प्रदेशों का हाल :
2005 में चंडीगढ़ में जेल तोड़ने की एक घटना हुई, जबकि जेल से फरार होने का एक मामला चंडीगढ़ और 16 मामले दिल्ली में दर्ज हुए। 2006 में चंडीगढ़ में फिर जेल तोड़ने की घटना हुई और एक कैदी भी जेल से भागने में सफल रहा। 2007 में केंद्र शासित प्रदेशों में हालांकि जेल तोड़ने की घटना नहीं हुई लेकिन दिल्ली में 5 कैदी भागने में सफल रहे।
सरकार की योजना :
जेल में बढ़ती भीड़, उससे सुरक्षा व्यवस्था पर बढ़ते दबाव, जेल परिसर के अंदर पनपते नए तरह के अपराध समूहों के अलावा मानवाधिकार उल्लंघन के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार ने 1800 करोड़ रुपए की जेल आधुनिकीकरण योजना शुरू की है।
इसमें केंद्र व राज्य 75:25 के अनुपात में राशि खर्च करेंगे। योजना के अंतर्गत नई जेलों के निर्माण के साथ ही नई बैरक व अन्य व्यवस्थाओं का निर्माण किया जाएगा। साथ ही सुरक्षा व्यवस्था को भी चौकस करने के कार्य को गति दी जाएगी।