आईटी क्षेत्र में भर्तियां फिर तेजी पकड़ चुकी हैं और पेशेवरों के लिए बेहतर जॉब ढूंढ़ना अब मुश्किल नहीं रहा। यही वजह है कि आईटी कंपनियों में कर्मचारियों के काम छोड़ने की दर दो अंकों में पहुंच गई है। मतलब, अच्छे ऑफर पर कर्मचारी कंपनी बदलने में जरा देर नहीं कर रहे।
इन्फोसिस के बोर्ड मेंबर और डायरेक्टर टीवी मोहनदास पाई का कहना है कि पिछले तीन माह से आईटी कर्मचारी तेजी से कंपनियां बदल रहे हैं। इसका प्रमुख कारण है कि सेक्टर के हालात सुधर चुके हैं और भर्ती प्रक्रिया में तेजी आई है। फिलहाल नौकरियां बदलने पर उतना वेतन नहीं मिल रहा जितना तेजी के दौर में मिला करता था। एमफेसिस के सीईओ गणोश अय्यर कहते हैं कि पिछले कुछ माह में उनकी कंपनी से कर्मचारियों के जाने की दर बढ़कर 12 फीसदी हो गई है। स्टाफिंग फर्म ‘टीम लीज’ का कहना है कि यह प्रक्रिया जनवरी-फरवरी से तेज हुई है। कंपनी की जनरल मैनेजर सुरभि माथुर गांधी के अनुसार,‘2009 के मध्य से कर्मचारियों ने कंपनियां बदलना शुरू किया, लेकिन दिसंबर आते-आते यह प्रक्रिया तेज हो गई।’
माथुर का कहना है कि पिछले वर्ष जून तक कंपनियों में मंदी का असर था, लेकिन अब जॉब मार्केट फिर मजबूत दिखाई दे रहा है। कर्मचारी बेहतर वेतन व अच्छे अवसर की खातिर जल्दी-जल्दी नौकरियां छोड़ रहे हैं। आने वाली तिमाहियों में यह प्रक्रिया और तेज हो जाएगी। २क्१क् के अंत तक नौकरियां छोड़ने की दर अब से 30-35 फीसदी अधिक हो जाएगी। जेनसार टेक्नोलॉजी के सीईओ गणोश नटराजन का कहना है कि पिछले वर्ष जहां यह दर 6.7 फीसदी थी, वहीं अब यह 10-11 फीसदी हो गई है, जो करीब-करीब 50 फीसदी अधिक है। आने वाले माह में यह प्रक्रिया और तेज हो जाएगी, खासकर बड़ी कंपनियों में।