रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के बैंकिंग लाइसेंस संबंधी डिस्कशन पेपर के जारी हो जाने के बाद अब भारत में कई नए बैंक खुलने का रास्ता साफ हो गया ैह। केन्द्रीय बैंक ने जानबूझकर बड़े बैंकों को बढ़ावा नहीं दिया और छोटे बैंकों के लिए आगे का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। बैंक ने अमेरिका के आर्थिक संकट से काफी कुछ सीखा है । उसकी सोच है कि विशालकाय बैंक जब धराशायी होते हैं तो उससे अर्थव्यवस्था को भारी चोट पहुंचती है जैसा कि अमेरिका में हुआ।
रिजर्व बैंक ने अपनी पुरानी पॉलिसी में जबर्दस्त बदलाव करते हुए बिजनेस और औद्योगिक घरानों को बैंकिंग लाइसेंस देने की अनुमति दे दी है। पहले इन पर रोक थी इससे टाटा, बिड़ला, रिलायंस, एलएंडटी जैसे बड़े औद्योगिक घरानों के लिए बैंकिंग लाइसेंस लेना आसान हो जाएगा।
इसके अलावा वो कंपनियां जिनके पास वित्तीय सेवाओं का अनुभव है, बैंकिंग लाइसेंस पा सकेंगी। इससे रेलीगेयर, रिलायंस कैपिटल, बजाज, फिनसर्व, महिन्द्रा फाइनेंस जैसी कंपनियों के लिए बैंकिंग लाइसेंस पाने का रास्ता खुल जाएगा।
लेकिन रिजर्व बैंक ने एक बड़ी बुद्धिमानी का काम किया है। उसने रियल एस्टेट कंपनियों के काम में सीधे या परोक्ष तौर पर लगी कंपनियों पर रोक लगा रखी है।
रिजर्व बैंक ने इसके जरिए बैंकों का आकार बढ़ाने की बजाय उनकी संख्या में बढ़ोतरी का रास्तासाफ कर दिया है। जो सराहनीय कदम है। इसके बाद अब देश में बैंकों की तादाद बढ़ना तय है।
सुचारु रुप से चलने वाले बैंकों की कमाई बढ़ने की पूरी संभावना है जैसा कि यस बैंक के ममले में हमने देखा। पांच साल में इस बैंक ने सफलता की बुलंदियां छू ली।
लेकिन इन सबसे बड़ी बात है कि भारत में बैंकिंग लाइसेंस मिलना आज भी गर्व का विषय है।