Friday, August 20, 2010

कश्मीर में सिखों को डरने की जरूरत नहीं : चिदम्बरम

नई दिल्ली। कश्मीर में सिखों को इस्लाम स्वीकार करने या घाटी छो़डने संबंधी आतंकवादियों की धमकी के बाद केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम ने शुक्रवार को कहा कि घाटी के सिखों को डरने की जरूरत नहीं है।

इस मामले पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही थो़डी देर के लिए स्थगित होने के बाद राज्यसभा में चिदम्बरम ने कहा, ""हमें इस तथाकथित खतरे के बारे में जानकारी है लेकिन डरने की कोई जरूरत नहीं है। मुख्यमंत्री (उमर अब्दुल्ला) ने आश्वासन दिया है कि सिख समुदाय को सुरक्षा दी जाएगी।"" केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि घाटी में सिखों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार राज्य सरकार से बात कर रही है।
चिदम्बरम ने कहा, ""हम सदन को आश्वस्त कर रहे हैं कि सिखों को सुरक्षित करने के लिए राज्य और केंद्र सरकार मिलकर काम कर रहे हैं।"" चिदम्बरम ने कहा कि घाटी में सिखों पर हो रहे हमलों के बारे में उनको जानकारी है। सिख समुदाय के केवल एक व्यक्ति के साथ दुव्र्यवहार की खबर है। उन्होंने कहा कि एक सिख प्रतिनिधिमण्डल ने उनसे मिलने के लिए पत्र दिया है और कुछ दिनों में वह उससे मिलेंगे।
मंत्री के आश्वासन पर असंतोष जताते हुए भाजपा के सदस्य एस.एस.अहलूवालिया ने कहा कि ऎसा ही आश्वासन पहले भी दिया गया था लेकिन कुछ भी नहीं किया गया। उन्हाेंने कहा, ""नेताओं ने पहले भी ऎसा ही आश्वासन दिया लेकिन क्या हुआक् हम घाटी में बेहतर माहौल चाहते हैं। सरकार हर एक को सुरक्षा नहीं उपलब्ध करा सकती।"" घाटी में 1990 के दशक में पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के उभरने पर वहां से हिंदुओं के पलायन के बाद सिख समुदाय ही वहां का सबसे ब़डा अल्पसंख्यक समुदाय है। घाटी में 60,000 सिख हैं।
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सर्वदलीय सिख समन्वय समिति (एएससीसी) ने आरोप लगाया कि कई सिखों को धमकी भरे पत्र मिले हैं। हुर्रियत के कट्टरवादी ध़डे के नेता सैयद अली शाह गिलानी ने सिखों से कहा है कि उनको इन फर्जी पत्रों से भयभीत और उपेक्षित नहीं महसूस करना चाहिए। उन्होंने आश्वस्त किया कि किसी भी सिख को विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।