गणित के अध्यापक की
यह परेशानी थी
पिकनिक पर गए छात्रों को
नदी पार करानी थी
सबसे पहले उसने
समस्या को
गणितीय ज्ञान से आंका
फिर नदी की गहराई को
दस विभिन्न जगहों से नापा
दसों जगहों की गहराई का जोड़ लगाया
फिर उसमें दस का भाग दिया
नदी की गहराई का
औसत निकाल लिया
नदी की औसत गहराई
सिर्फ दो फुट आई
तथा कोई भी छात्र
चार फुट से छोटा नहीं था भाई
अध्यापक बोला-बच्चों!
बिल्कुल मत घबराओ
:संकोच नदी में उतर जाओ
छात्र नदी में उतरे
तो डूबने लगे
अध्यापक की विद्वता से
ऊबने लगे
हालात ने टोका
तो उसने
बढ़ते हुए छात्रों को रोका
ka गज पैन सम्हाला
नदी की गहराई का औसत
दुबारा निकाला
नदी की गहराई का औसत
इस बार भी सिर्फ दो फुट आया
तो अध्यापक का दिमाग चकराया
बनकर के भोला
वह अपने आप से बोला
लेखे-जोखे ज्यों के त्यों
फिर छोरे-छोरी डूबे क्यों?
आप क्या समझे
यह किसी गणित के अध्यापक की
बेवकूफी की निशानी है?
नहीं दोस्त!
यह तो भारत सरकार के
वित्त मंत्रालय की कहानी है।
हमारा वित्त मंत्री
जब बजट बनाता है
तब सिर्फ आंकड़ों के
औसत से काम चलाता है
चूँकि वह समस्या की गहराई को
ठीक से नहीं नाप पाता है
इसलिए हमारी तरक्की का सपना
हर बार डूब जाता है