Thursday, August 12, 2010

'नाबालिगों के बीच विवाह वैध'



नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण व्यवस्था में कहा है कि नाबालिगों के बीच विवाह वैध है। यह तभी टूट सकता है जब दंपती में से कोई एक इसे तोड़ने के लिए अपील करे।
जस्टिस बीडी अहमद तथा वीके जैन की बेंच ने कहा, यहां तक कि बाल विवाह कानून के प्रावधान भी ऐसी शादी को अवैध करार नहीं देते। कानून कहता है कि शादी नाबालिग पार्टनर द्वारा अपील करने पर ही तोड़ी जा सकती है। विवाह करने वालों को छोड़कर अन्य कोई पक्ष इसे तोड़ने के लिए अर्जी नहीं लगा सकता।
कोर्ट ने कहा, ‘धारा 5 के खंड-3 के विपरीत कोई शादी अमान्य शादी या अमान्य घोषित करने योग्य विवाह की श्रेणी में नहीं आती है।’ इन कानूनी प्रावधानों के तहत विवाह के लिए वर व वधु की न्यूनतम उम्र क्रमश: 21 तथा 18 वर्ष तय की गई है। कोर्ट ने यह आदेश जितेंद्र कुमार शर्मा (18) की याचिका पर पारित किया। उसकी पूनम शर्मा (16) से शादी हुई थी। उनके परिजन इस शादी के खिलाफ थे।
उन्होंने यह शादी घर से भाग कर की थी। जब जितेंद्र के खिलाफ पूनम के परिजनों ने फौजदारी मामला दर्ज कराया तो उसने अदालत की शरण ली। पूनम के रिश्तेदारों का आरोप था कि जितेंद्र ने उसका अपहरण किया है। इससे पहले दंपती को अदालत में तलब किया गया था। उन्होंने कोर्ट में कहा कि वे दोनों एक-दूसरे से प्यार करते हैं। उन्होंने बिना किसी दबाव के यह शादी की है। कोर्ट ने कहा कि पूनम के परिजन को उसे पति के बगैर रहने को विवश नहीं कर सकते हैं।