वाशिंगटन। एक अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत आतंकवाद से सबसे ज्यादा पीडित देशों में से एक है। रिपोर्ट के अनुसार भारत, पाकिस्तान के लश्कर-ए-तैयबा व जैश-ए-मोहम्मद और बांग्लादेश के हरकत-उल-जिहाद-आई-इस्लामी जैसे आतंकवादी संगठनों से लगातार खतरा झेल रहा है।
इसके अलावा भारत की कानून और प्रवर्तन प्रणालियां बहुत पुरानी हैं जिससे आतंकवाद के खिलाफ ल़डाई में गतिरोध पैदा होता है। विदेश मंत्रालय ने वर्ष 2009 में आतंकवाद पर कांग्रेस द्वारा स्वीकृत अपनी रिपोर्ट में कहा है, ""26 नवंबर 2008 को मुंबई हमले के बाद हालांकि ऎसी कोई ब़डी वारदान नहीं हुई है लेकिन अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि भारत को खतरा बरकरार है।"" भारत में आतंरिक और बा±य आतंकवादी संगठनों के कई हमलों का जिक्र करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि आतंकवाद को खत्म करने की स्पष्ट प्रतिबद्धता के बावजूद भारत सरकार के आतंकवाद विरोधी प्रयासों में उसकी पुरानी कानूनी और प्रवर्तन प्रणालियां बाधक बनी हुई हैं। रिपोर्ट के अनुसार मुंबई हमलों के मद्देनजर भारतीय संसद में आतंकवाद निरोधक कानूनों के पुनर्गठन के लिए विधेयक लाए गए और आतंकवाद से जु़डे मामलों की जांच और अभियोग केलिए एक राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) का गठन किया गया। आतंकवाद निरोधक समन्वयक डेनियल बेंजामिन द्वारा गुरूवार को जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया कि अलकायदा और उससे जुडे़ आतंकवादी संगठन पाकिस्तान में लगातार अपनी गतिविधियां चला रहे हैं और वहां हमले कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के पश्चिमोत्तर स्थित बलूचिस्तान और अन्य भाग अलकायदा आतंकवादियों, अफगान विद्रोहियों और अन्य आतंकवादी समूहों के लिए सुरक्षित ठिकाने बने हुए हैं। अफगानिस्तान के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबानी की अगुवाई में विद्रोह वहां के दक्षिणी और पूर्वी हिस्सों में बरकरार है और यह उत्तरी और पश्चिमी हिस्सों में अपनी पहुंच बढ़ा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार विद्रोहियों को हालांकि भारी ल़डाई का सामना करना प़डा है और उनके नेताओं को अपनी जान से भी हाथ धोना प़डा है।